-प्रदीप कुमार वर्मा
धौलपुर। देश और दुनिया में कम्पयूटर की उपयोगिता किसी से छिपी नहीं है।
आज के दौर में कम्पयूटर के ज्ञान को सफलता की कुंजी माना जाता है। लेकिन
जिले में कम्पयूटर की इस तालीम पर शिक्षा विभाग की उदासीनता का ताला लगा
हुआ है। यही बजह है कि सरकारी स्कूलों में पढाई कर रहे कल के कर्णधारों
को कम्पयूटर की यह तालीम नसीब नहीं हो पा रही है। हाल में सैपउ के दौरे
पर गए जिला कलक्टर ने जब एक स्कूल में कम्यूटर लैब पर ताले लगे देखे,तो
उन्होंने शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को कम्पयूटर लैबों को दुरूस्त
करने के निर्देश दिए। इसके बाद में अब जिले के स्कूलों में कम्पयूटर
लैबों के ताले खोलकर नाकारा कम्पयूटरों को सुधारा जा रहा है।
शिक्षा विभाग के आंकडों के मुताबिक धौलपुर जिले में कुल 279 सरकारी
माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। इनमें से सिर्फ 158 स्कूलों
में कम्पयूटर लैब संचालित हैं। वर्ष 1995 में जिले में कम्पयूटरों लैबों
की स्थापना का काम शुरू हुआ था तथा वर्तमान में चौथे चरण में जिले के
स्कूलों में कम्पयूटर लगाने का काम चल रहा है। शिक्षा विभाग के मुताबिक
चार चरणों में स्थापित की गई कम्पयूटर लैबों में दस से बीस कम्पयूटर
स्वीकृत हैं। लेकिन यह महज कागजी आंकडे हैं। जमीनी हकीकत यह है कि
ज्यादातर स्कूलों में इन लैबों में मात्र दो से चार कम्पयूटर ही मौजूद
हैं। यही बजह है कि ज्यादातर लैबों पर ताले हैं तथा विद्यार्थियों को
प्रशिक्षण तो दूर कम्पयूटर के दर्शन तक नहीं हो पा रहे हैं।
समग्र शिक्षा अभियान के तहत संचालित की जा रही कम्पयूटर शिक्षा के
प्रति सरकार और शिक्षा विभाग की उदासीनता का आलम यह है कि इन 158 स्कूलों
में से सिर्फ 9 स्कूलों में ही कम्पयूटर आपरेटर तैनात हैं। बाकी स्कूलों
में जबरन यह काम स्कूल के ही किसी शिक्षक अथवा पंचायत सहायक के जिम्मे
हैं। नतीजतन कम्पयूटर धूल फांक रहे हैं। इसके अलावा कई स्कूलों में बिजली
की उपलब्धता नहीं होने के कारण भी धौलपुर जिले में कम्पयूटर की शिक्षा
विद्यार्थियों के लिए दूर की कौडी साबित हो रही है। समग्र शिक्षा अभियान
के अपर परियोजना समन्वयक मुकेश गर्ग ने बताया कि जिले के 158 सरकारी
स्कूलों में से 110 स्कूलों में कम्पयूटर लैब चालू हैं। लेकिन ज्यादातर
कम्पयूटर पन्द्रह से बीस साल पुराने हैं तथा देखरेख के अभाव में आउट आफ
डेट हो चुके हैं।
गर्ग मानते हैं कि कम्पयूटर आपरेटर नहीं होने के कारण भी कम्पयूटर
लैबों का संचालन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि इस विसंगति को दूर
करने के लिए ग्राम पंचायत सहायकों को पांच दिन का कम्पयूटर प्रशिक्षण
शिक्षा विभाग द्वारा दिलाया गया था। लेकिन पांच दिन में ना तो ग्राम
पंचायत कुछ सीख सके और ना ही उनका मन कम्पयूटर लैब के संचालन में लगा।
गर्ग ने बताया कि जिला कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल की पहल पर कम्पयूटर
लैबों को दुरुस्त करने का काम शुरु किया गया है। इसमें नाकारा कम्पयूटरों
को दस दिसंबर तक सुधार दिया जाएगा।
हाल में करौली-धौलपुर सांसद डा. मनोज राजोरिया के कोटे से करीब 55 लाख
रुपए की राशि विभाग को मिली है। राज्य सरकार की योजना के मुताबिक सांसद
द्वारा दी गई 25 राशि में राज्य सरकार द्वारा 75 प्रतिशत राशि भी शामिल
करके कम्पयूटर लैबों की स्थापना होगी। इस राशि से जिले के 73 विद्यालयों
में नई कम्पयूटर लैब स्थापित किए जाने की योजना है। सांसद और सरकार के
प्रयासों से सूबे के पिछडे जिले धौलपुर में कम्पयूटर की तालीम की रोशनी
बिखरने की उम्मीद तो बंधी है। लेकिन डर इसी बात का है कि शिक्षा विभाग की
उदासीनता तथा आपरेटरों की नियुक्ति नहीं होने से नए कम्पयूटर लैबों का
हाल भी बदहाल ना हो जाए।
आज के दौर में कम्पयूटर के ज्ञान को सफलता की कुंजी माना जाता है। लेकिन
जिले में कम्पयूटर की इस तालीम पर शिक्षा विभाग की उदासीनता का ताला लगा
हुआ है। यही बजह है कि सरकारी स्कूलों में पढाई कर रहे कल के कर्णधारों
को कम्पयूटर की यह तालीम नसीब नहीं हो पा रही है। हाल में सैपउ के दौरे
पर गए जिला कलक्टर ने जब एक स्कूल में कम्यूटर लैब पर ताले लगे देखे,तो
उन्होंने शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को कम्पयूटर लैबों को दुरूस्त
करने के निर्देश दिए। इसके बाद में अब जिले के स्कूलों में कम्पयूटर
लैबों के ताले खोलकर नाकारा कम्पयूटरों को सुधारा जा रहा है।
शिक्षा विभाग के आंकडों के मुताबिक धौलपुर जिले में कुल 279 सरकारी
माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। इनमें से सिर्फ 158 स्कूलों
में कम्पयूटर लैब संचालित हैं। वर्ष 1995 में जिले में कम्पयूटरों लैबों
की स्थापना का काम शुरू हुआ था तथा वर्तमान में चौथे चरण में जिले के
स्कूलों में कम्पयूटर लगाने का काम चल रहा है। शिक्षा विभाग के मुताबिक
चार चरणों में स्थापित की गई कम्पयूटर लैबों में दस से बीस कम्पयूटर
स्वीकृत हैं। लेकिन यह महज कागजी आंकडे हैं। जमीनी हकीकत यह है कि
ज्यादातर स्कूलों में इन लैबों में मात्र दो से चार कम्पयूटर ही मौजूद
हैं। यही बजह है कि ज्यादातर लैबों पर ताले हैं तथा विद्यार्थियों को
प्रशिक्षण तो दूर कम्पयूटर के दर्शन तक नहीं हो पा रहे हैं।
समग्र शिक्षा अभियान के तहत संचालित की जा रही कम्पयूटर शिक्षा के
प्रति सरकार और शिक्षा विभाग की उदासीनता का आलम यह है कि इन 158 स्कूलों
में से सिर्फ 9 स्कूलों में ही कम्पयूटर आपरेटर तैनात हैं। बाकी स्कूलों
में जबरन यह काम स्कूल के ही किसी शिक्षक अथवा पंचायत सहायक के जिम्मे
हैं। नतीजतन कम्पयूटर धूल फांक रहे हैं। इसके अलावा कई स्कूलों में बिजली
की उपलब्धता नहीं होने के कारण भी धौलपुर जिले में कम्पयूटर की शिक्षा
विद्यार्थियों के लिए दूर की कौडी साबित हो रही है। समग्र शिक्षा अभियान
के अपर परियोजना समन्वयक मुकेश गर्ग ने बताया कि जिले के 158 सरकारी
स्कूलों में से 110 स्कूलों में कम्पयूटर लैब चालू हैं। लेकिन ज्यादातर
कम्पयूटर पन्द्रह से बीस साल पुराने हैं तथा देखरेख के अभाव में आउट आफ
डेट हो चुके हैं।
गर्ग मानते हैं कि कम्पयूटर आपरेटर नहीं होने के कारण भी कम्पयूटर
लैबों का संचालन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि इस विसंगति को दूर
करने के लिए ग्राम पंचायत सहायकों को पांच दिन का कम्पयूटर प्रशिक्षण
शिक्षा विभाग द्वारा दिलाया गया था। लेकिन पांच दिन में ना तो ग्राम
पंचायत कुछ सीख सके और ना ही उनका मन कम्पयूटर लैब के संचालन में लगा।
गर्ग ने बताया कि जिला कलक्टर राकेश कुमार जायसवाल की पहल पर कम्पयूटर
लैबों को दुरुस्त करने का काम शुरु किया गया है। इसमें नाकारा कम्पयूटरों
को दस दिसंबर तक सुधार दिया जाएगा।
हाल में करौली-धौलपुर सांसद डा. मनोज राजोरिया के कोटे से करीब 55 लाख
रुपए की राशि विभाग को मिली है। राज्य सरकार की योजना के मुताबिक सांसद
द्वारा दी गई 25 राशि में राज्य सरकार द्वारा 75 प्रतिशत राशि भी शामिल
करके कम्पयूटर लैबों की स्थापना होगी। इस राशि से जिले के 73 विद्यालयों
में नई कम्पयूटर लैब स्थापित किए जाने की योजना है। सांसद और सरकार के
प्रयासों से सूबे के पिछडे जिले धौलपुर में कम्पयूटर की तालीम की रोशनी
बिखरने की उम्मीद तो बंधी है। लेकिन डर इसी बात का है कि शिक्षा विभाग की
उदासीनता तथा आपरेटरों की नियुक्ति नहीं होने से नए कम्पयूटर लैबों का
हाल भी बदहाल ना हो जाए।