बाल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास एवं जागरुकता आवश्यक
बाल संरक्षण की चार दिवसीय कार्यशाला का आगाज,पुलिस यूनिवर्सिटी कर रही है आयोजन
धौलपुर। प्रदेश की सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में बाल
संरक्षण की कार्यशाला का आगाज शनिवार को रिजर्व पुलिस लाईन में हुआ। चार
दिन तक चलने वाली कार्यशाला में जिले के थाना प्रभारियों तथा सीएलजी के
सदस्यों को बाल संरक्षण के क्षेत्र में नवीनतम नियमों और प्रावधानों की
जानकारी दी जाएगी। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक
मृदुल कछावा ने कहा कि बाल संरक्षण आज के दौर की सबसे बडी आवश्यकता है।
इस संबंध में सरकार ने कानून बनाए हैं,लेकिन बाल संरक्षण में समुदाय की
भी विशेष भूमिका है। इसलिए बाल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास एवं
सामुदायिक जागरुकता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सीएलजी सदस्य बाल संरक्षण
के क्षेत्र में सामुदायिक समझाईश एवं सूचना के माध्यम से पुलिस का सहयोग
कर सकते हैं। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष बिजेन्द्र परमार ने कहा कि बाल
संरक्षण के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधान हैं। लेकिन कई भय और बदनामी के
डर से ऐसे मामलों में अभिभावक कार्रवाई के लिए आगे नहीं आते हैं। इस
परिपाटी को बदलने की आवश्यकता है। अपर पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र वर्मा ने
कहा कि बाल संरक्षण के क्षेत्र में कई बार समाज के दोहरे मानदंड सामने
आते हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम सब समन्वित प्रयास करके बाल
संरक्षण की संकल्पना को साकार करें। कार्यशाला में राजस्थान पुलिस एकेडमी
के प्रशिक्षक धीरज वर्मा ने सीएलजी सदस्यों तथा थाना प्रभारियों की
भूमिका एवं कार्यों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। सरदार पटेल
पुलिस यूनिवर्सिटी के सेंटर फार चाइल्ड प्रोटेक्शन इकाई के सलाहकार
आशुतोष श्रीवास्तव एवं सलाहकार प्रवीन सिंह ने बाल संरक्षण के क्षेत्र
में प्रदेश में किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला
में सीएलजी सदस्य वीर शैलेन्द्र राणा, माथुर वैश्य महिला मंडल की अध्यक्ष
प्रतिभा गुप्ता,शिक्षाविद रमाकांत शर्मा,राधा गर्ग एवं ग्याप्रसाद शर्मा
सहित अन्य मौजूद रहे। कार्यशाला का संचालन मानव तस्करी यूनिट के प्रभारी
पुलिस निरीक्षक रुपसिंह ने किया।
बाल संरक्षण की चार दिवसीय कार्यशाला का आगाज,पुलिस यूनिवर्सिटी कर रही है आयोजन
धौलपुर। प्रदेश की सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में बाल
संरक्षण की कार्यशाला का आगाज शनिवार को रिजर्व पुलिस लाईन में हुआ। चार
दिन तक चलने वाली कार्यशाला में जिले के थाना प्रभारियों तथा सीएलजी के
सदस्यों को बाल संरक्षण के क्षेत्र में नवीनतम नियमों और प्रावधानों की
जानकारी दी जाएगी। कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक
मृदुल कछावा ने कहा कि बाल संरक्षण आज के दौर की सबसे बडी आवश्यकता है।
इस संबंध में सरकार ने कानून बनाए हैं,लेकिन बाल संरक्षण में समुदाय की
भी विशेष भूमिका है। इसलिए बाल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास एवं
सामुदायिक जागरुकता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सीएलजी सदस्य बाल संरक्षण
के क्षेत्र में सामुदायिक समझाईश एवं सूचना के माध्यम से पुलिस का सहयोग
कर सकते हैं। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष बिजेन्द्र परमार ने कहा कि बाल
संरक्षण के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधान हैं। लेकिन कई भय और बदनामी के
डर से ऐसे मामलों में अभिभावक कार्रवाई के लिए आगे नहीं आते हैं। इस
परिपाटी को बदलने की आवश्यकता है। अपर पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र वर्मा ने
कहा कि बाल संरक्षण के क्षेत्र में कई बार समाज के दोहरे मानदंड सामने
आते हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम सब समन्वित प्रयास करके बाल
संरक्षण की संकल्पना को साकार करें। कार्यशाला में राजस्थान पुलिस एकेडमी
के प्रशिक्षक धीरज वर्मा ने सीएलजी सदस्यों तथा थाना प्रभारियों की
भूमिका एवं कार्यों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। सरदार पटेल
पुलिस यूनिवर्सिटी के सेंटर फार चाइल्ड प्रोटेक्शन इकाई के सलाहकार
आशुतोष श्रीवास्तव एवं सलाहकार प्रवीन सिंह ने बाल संरक्षण के क्षेत्र
में प्रदेश में किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला
में सीएलजी सदस्य वीर शैलेन्द्र राणा, माथुर वैश्य महिला मंडल की अध्यक्ष
प्रतिभा गुप्ता,शिक्षाविद रमाकांत शर्मा,राधा गर्ग एवं ग्याप्रसाद शर्मा
सहित अन्य मौजूद रहे। कार्यशाला का संचालन मानव तस्करी यूनिट के प्रभारी
पुलिस निरीक्षक रुपसिंह ने किया।